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आत्महत्या धारा 309
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आत्महत्या धारा 309 मोदी सरकार ने आईपीसी की धारा 309 को खत्म कर दिया है। इस कानून के तहत, जान देने की कोशिश करने वाले को 1 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा होती थी। सरकार ने आत्महत्या करने की कोशिश को अपराध की श्रेणी से हटाने का फैसला किया है। यानी अब जान देने की कोशिश करने वालों को जेल नहीं होगी। मोदी सरकार ने बुधवार को आईपीसी की धारा 309 को खत्म करने का एलान किया। इस कानून के तहत जान देने की कोशिश करने वाले को 1 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा होती थी। सरकार ने बताया कि 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश इस फैसले के पक्ष में हैं। कुछ दिन पहले गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सेक्शन 309 को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाना चाहिए। कमीशन ने कहा था कि यह कानून मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं है। इस कानून को हटाने से आत्महत्या की कोशिश के बाद मानसिक प्रताड़ना झेल रहे लोगों को कानूनी अड़चनों में फंसकर अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा। रिजिजू के मुताबिक, होम मिनिस्ट्री सीआरपीसी और आईपीसी के कुछ और अन्य कानूनों को भी खत्म करने पर वि...
घरेलू हिंसा
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घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है अौर पीड़ित महिलाऔं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। यह २६ अक्टूबर २००६ को लागू हुई। घरेलू हिंसा क्या है? शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना,मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं। इस क़ानून के तहत घरेलू हिंसा के दायरे में अनेक प्रकार की हिंसा और दुर्व्यवहार आते हैं। किसी भी घरेलू सम्बंध या नातेदारी में किसी प्रकार का व्यवहार, आचरण या बर्ताव जिससे (१) आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, या किसी अंग को कोई क्ष...
भारतीय दण्ड संहिता
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भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code, IPC) भारत के अन्दर भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद ३७० हटने के बाद जम्मू एवं कश्मीर में भी अब भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) लागू है. भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1862 में लागू हुई। इसके बाद इसमे समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश [उपनिवेश|उपनिवेशों] ( बर्मा , श्रीलंका , मलेशिया , सिंगापुर , ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी। लेकिन इसमें अब तक बहुत से संशोधन किये जा चुके है।
गिरफतार महिला के अधिकार
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गिरफतार महिला के अधिकार कोई महिला पुलिस की दृष्टि में 'अपराधी' है और पुलिस उसे गिरफ्तार करने आती है तो वह अपने अधिकारों का उपयोग कर सकती हैं- उसे गिरफ्तारी का कारण बताया गया। गिरफ्तारी के समय उसे हथकड़ी न लगाई जाए। हथकड़ी सिर्फ मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही लगाई जा सकती है। अपने वकील को बुलवा सकता है। मुफ्त कानूनी सलाह की पसंद कर सकता है, अगर वह वकील रखने में असमर्थ है। गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर महिला को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है। गिरफ्तारी के समय महिला के किसी रिश्तेदार या मित्र को उसके साथ थाने जाने दिया जाए। अगर पुलिस महिला को गिरफ्तार करके थाने में लाती है तो महिला को निम्न अधिकार प्राप्त हैं गिरफ्तारी के बाद उसे महिलाओं के कमरे में ही रखा गया। उसे मानवताता के साथ रखा जाना, जोर-जबरदस्ती करना गैरकानूनी है। पुलिस द्वारा मारे-पीटे जाने या दुर्व्यवहार किए जाने पर मजिस्ट्रेट से डाक्टरी जाँच की मांग कर सकती है। महिला की डाक्टरी जाँच केवल महिला डॉक्टर ही करती है। महिला अपराधियों के साथ हस्तक्षेप के दौरान कभी-कभी छेड़छाड़ के मामले भी सामने आते हैं। इसके लिए महिला इन अ...
महिला ओंकेलिए कानुनी धाराऐं
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महिला ओंकेलिए कानुनी धाराऐं भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत सार्वजनिक स्थान पर बुरी-बुरी गालियाँ देते और अश्लील गाने आदि गाते हैं जो सुनने पर बुरी पकड़ें, धारा 304 बी के तहत किसी महिला की मृत्यु उसकी शादी होने की तिथि से 7 वर्ष की अवधि के अंदर उसके पति या पति के संबंधियों द्वारा दहेज संबंधी माँग के कारण क्रूरता या प्रताड़ना के फलस्वरूप सामान्य परिस्थितियों के अलावा हुई, धारा 306 के तहत किसी व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य (दोषप्रेरण) के फलस्वरूप की गई आत्महत्या, धारा 303 के तहत महिला की इच्छा के अनुसार विरुद्ध गर्भपात करवाना, धारा 314 के अंतर्गत गर्भपात करने के उद्देश्य से किए गए कृत्य द्वारा महिला की मृत्यु हो जाना, धारा 315 के अंतर्गत शिशु जन्म को रोकना या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु के उद्देश्य से किया गया ऐसा कार्य जिससे मृत्यु संभव हो, धारा 316 के तहत सजीव, नवजात बच्चे को मारना,धारा 318 के तहत किसी नवजात शिशु के जन्म को छुपाने के उद्देश्य से उसके मृत शरीर को गाड़ना या किसी अन्य प्रकार से निराकरण, धारा 354 के तहत महिला की लज्जाशीलता भंग करने के लिए उसके साथ बल का प्रयोग करना, धारा ...