आत्महत्या धारा 309
आत्महत्या धारा 309
मोदी सरकार ने आईपीसी की धारा 309 को खत्म कर दिया है। इस कानून के तहत, जान देने की कोशिश करने वाले को 1 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा होती थी।
सरकार ने आत्महत्या करने की कोशिश को अपराध की श्रेणी से हटाने का फैसला किया है। यानी अब जान देने की कोशिश करने वालों को जेल नहीं होगी। मोदी सरकार ने बुधवार को आईपीसी की धारा 309 को खत्म करने का एलान किया। इस कानून के तहत जान देने की कोशिश करने वाले को 1 साल तक की जेल और जुर्माने की सजा होती थी। सरकार ने बताया कि 18 राज्य और 4 केंद्र शासित प्रदेश इस फैसले के पक्ष में हैं।
कुछ दिन पहले गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा में बताया था कि लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सेक्शन 309 को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाना चाहिए। कमीशन ने कहा था कि यह कानून मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं है। इस कानून को हटाने से आत्महत्या की कोशिश के बाद मानसिक प्रताड़ना झेल रहे लोगों को कानूनी अड़चनों में फंसकर अलग से परेशान नहीं होना पड़ेगा। रिजिजू के मुताबिक, होम मिनिस्ट्री सीआरपीसी और आईपीसी के कुछ और अन्य कानूनों को भी खत्म करने पर विचार कर रही है। बता दें कि सुप्रीम के तत्कालीन जस्टिस मार्कंडेय काटजू और ज्ञान सुधा मिश्रा की बेंच ने भी संसद को सुझाव दिया था कि इस कानून को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा था कि एक शख्स डिप्रेशन में आने के बाद आत्महत्या की कोशिश करता है, इसलिए उसे मदद की जरूरत है, न ही सजा की। जो लोग इस कानून को खत्म किए जाने का विरोध कर रहे थे,
आत्महत्या-480कानूनी खींचतान काफी पहले से
इस कानून को हटाने की कोशिश काफी पहले से हो रही है। 1978 में आईपीसी संशोधन बिल राज्यसभा में पास हो गए, जिसके जरिए सेशन 309 को खत्म किया जाना था। लेकिन इससे पहले कि यह बिल लोकसभा में पहुंचता, संसद भंग कर दिया गया और बिल पास न हो सका।
1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि भारतीय कॉन्स्ट के तहत मिलने वाले राइट ऑफ लाइफ में रहने और जान देने, दोनों ही अधिकार समाहित हैं। इसके साथ ही, धारा 309 को खत्म कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को 1994 में बरकरार रखा। हालांकि, 1996 में पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया कि संवैधानिक तौर पर मिलने पर राइट टू लाइफ में जान देने का अधिकार शामिल नहीं है और धारा 309 वैध है। इसके बाद 2008 में लॉ कमीशन ने इसे हटाने का सुझाव दिया।
इस तरह अधिवक्ता रवि कश्यप जी ने जानकारी दि है।
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